Kashmir Solidarity Day POK News: इस साल भी पाकिस्तान ने भारी फंड खर्च करके 5 फ़रवरी को Kashmir Solidarity Day मनाया लेकिन ये पूरी तौर पर फ्लॉप शो साबित हुआ। विदेशों में पाकिस्तान के दूतावासों की रैलियों में भीड़ नहीं जुट पाई और उनके अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।
उल्टे पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों ने इसी दिन People’s Rights Day मनाकर पाकिस्तान के खिलाफ़ ही आवाज़ बुलंद करनी शुरू कर दी। केवल पीओके ही नहीं बलूचिस्तान और पश्चिमी सीमांत में भी पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर लगातार हमले हो रहे हैं और उन्हें मारा जा रहा है।
पाकिस्तान ने 1990 से 31 जनवरी से 5 फ़रवरी तक Kashmir Solidarity Day मनाना शुरू किया था ताकि कश्मीर के बारे में झूठ पूरी दुनिया में फैला पाए। इसके लिए पाकिस्तान सरकार बड़ी रक़म खर्च करती है जिससे देश-विदेश में रैलियां की जाएं और अपने पाले-पोसे लोगों से सेमिनार आयोजित करवाई जा सके।
इस साल भी पूरी जनवरी इस दिन की तैयारी की गई, सोशल मीडिया से हैशटैग ट्रैंड कराए गए, 6 दशों में पाकिस्तान के दूतावासों को इस काम में लगाया गया, 14 कट्टरपंथी या आतंकवादी समर्थक थिंक टैंकों को सेमिनार करवाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। दूतावासों में छु्ट्टी की गई ताकि उन देशों में रह रहे लोगों को रैंलियों में लाया जा सके। लेकिन सारी मेहनत बेकार गई और कहीं भी न तो लोग जुटे,न ही सेमिनारों को लोगों ने गंभीरता से लिया।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर किए गए सरकारी प्रदर्शनों में केवल आईएसआई के लोग ही शामिल हुए आम लोगों ने इससे दूरी बनाकर रखी।
वहीं पाक अधिकृत कश्मीर में लोगों ने पहली बार Kashmir Solidarity Day के प्रोपेगैंडा के खिलाफ़ People’s Rights Day मनाकर उसकी असलियत सामने ला दी। पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना की हर रुकावट के बावजूद रावलाकोट और उसके आसपास के इलाक़ों में कई रैलियां हुईं जिनमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए।
यहां के लोगों का कहना था कि Kashmir Solidarity Day केवल पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के अवैध कब्ज़े को जायज़ ठहराने के लिए मनाया जाता है। यहां के निवासियों ने इलाक़े की खराब हालात, आटे और पीने के पानी की किल्लत और बिजली की मांग करते हुए रैलियां निकालीं।
उनका कहना था कि पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी पीओके के संसाधनों को लूट रहे हैं और बदले में उन्हें कुछ नहीं मिल रहा है। पिछले कुछ सालों से पीओके के लोगों में लगातार गुस्सा बढ़ रहा है जिसे पाकिस्तानी सेना बेरहमी से दबाने की कोशिश कर रही है। लोग आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना के जुल्मों का अब खुलकर विरोध कर रहे हैं।